राजधानी में बिजली के साथ-साथ पानी की समस्या का संकट पैदा हो रहा है। बिजली विभाग पर एक्स्ट्रा लोड पड़ने के वजह से सिंचाई व पेयजल की समस्या शुरू हो गई है। जहां एक ओर पानी की कमी के कारण लोग परेशान हैं तो वहीं दूसरी ओर इसको लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई है।
उत्तराखंड में तापमान बढ़ने के साथ बिजली के साथ साथ पेयजल संकट का खतरा भी बढ़ने लगा है। न केवल नगरीय क्षेत्र बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिजली और पीने के पानी की उपलब्धता मुश्किल में पड़ती दिखाई दे रही हैं। ऊर्जा विभाग द्वारा राजधानी में बिजली कटौती की जा रही है जिसके कारण आम जनता काफी परेशान दिखाई दे रही है। बिजली कटौती और एक्स्ट्रा लोड के चलते पानी के ट्यूबवेल भी समय से नहीं चल पा रहे हैं। जिसकी वजह से राजधानी में पानी का संकट भी पैदा हो गया है।
राजधानी दून में पारा 40 डिग्री के पार चले गया है। इससे बिजली की खपत भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है। पिछले साल मई के मुकाबले इस बार मई में बिजली की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है। दून समेत पूरे प्रदेश में बिजली की मांग 57 एमयू तक पहुंच गई। जबकि पिछले साल जून में अधिकतम डिमांड 52 एमयू तक गई थी। बता दें कि बिजली कटौती और पेयजल संकट को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी बैठक की। जिसके बाद अब उम्मीद है कि हालात ठीक हो सकते है।
बिजली कटौती और पेयजल समस्या को लेकर सियासत भी तेज हो गई है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बहुत देर से जागते हैं। चाहे चारधाम यात्रा में व्यवस्थाओं की बात हो, पेयजल संकट य फिर बिजली कटौती की बात हो लगातार एक महीने से विपक्ष सरकार को जगाने का काम कर रही है लेकिन सरकार सुध नहीं ले रही है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर बेताहाशा होती बिजली कटौती और पेयजल संकट को लेकर जवाबदेही किसकी है ?
कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा भी पलटवार कर रही है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान का कहना है कि आमजन को पेयजल उपलब्ध हो इसके लिए तमाम प्रयास किया जा रहे हैं और वैकल्पिक मार्ग निकाले जा रहे हैं। पानी की समस्या को दूर करने के लिए पानी के टैंकर गली-मोहल्ले में भेजे जा रहे हैं।
बिजली कटौती को लेकर भी मुख्यमंत्री के द्वारा बैठक की गई है वह जल्दी इसका निराकरण हो जाएगा। मनवीर चौहान ने कांग्रेस के आरोपों का प्लेटफार्म करते हुए कहा कि कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ सरकार की बुराइयां ढूंढने का काम करती है। लेकिन जो कांग्रेस शासित प्रदेश हैं उनसे कम बिजली कटौती उत्तराखंड में हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस शासित प्रदेशों से भी कम दर पर बिजली मिल रही है। लेकिन कांग्रेस उन बातों को नहीं बोलेगी कांग्रेस सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक बयान देती है।