नैनीताल कांड: पीड़ित बच्ची की मां ने कैसे खोला राज, अधिवक्ताओं तक पहुंचने में क्या रही चुनौती? जानिये पूरा सच

नैनीताल कांड: पीड़ित बच्ची की मां ने कैसे खोला राज, अधिवक्ताओं तक पहुंचने में क्या रही चुनौती? जानिये पूरा सच

नैनीताल में बालिका से दुष्कर्म के मामले में प्रदेशभर में आक्रोश है। उसके न्याय के लिए दो अधिवक्ता खड़े थे। अमर उजाला से खास बातचीत में अधिवक्ता ने बालिका केस में कई सवालों से उठाया पर्दा।जिस बालिका से दुष्कर्म के बाद पूरा नैनीताल आक्रोश में था, उसके न्याय के लिए दो अधिवक्ता खड़े थे। पीड़ित बच्ची की मां एक महिला की मदद से अधिवक्ता संजय त्रिपाठी और अधिवक्ता स्वाति परिहार बोरा से मिली। कोतवाली मल्लीताल में रिपोर्ट दर्ज होने से लेकर अब तक वे बच्ची के न्याय के लिए लड़ रहे हैं। अमर उजाला से खास बातचीत में अधिवक्ता ने बताया कि दुष्कर्म का मामला सामने आने और आरोपी मो. उस्मान पर मुकदमा दर्ज होने के बाद उनको किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।प्रश्न : आपको बालिका से दुष्कर्म की जानकारी कैसे मिली, पीड़ित पक्ष के लोग आप तक कैसे पहुंचे।
उत्तर : हम कोर्ट से 30 अप्रैल की शाम काम समाप्त कर घर लौट रहे थे। इसी बीच एक महिला ने फोन कर साथी अधिवक्ता स्वाति परिहार बोरा को बच्ची से दुष्कर्म के बारे में जानकारी दी। इसके बाद हम कोतवाली पहुंचे। वहां हमें पीड़ित पक्ष मिला।प्रश्न : पुलिस ने आप लोगों की किस तरह मदद की।
उत्तर : पीड़िता को लेकर उसकी मां और नानी कोतवाली पहुंचीं। कोतवाल हेम चंद्र पंत को घटना की जानकारी दी गई तो उन्हाेंने महिला पुलिसकर्मी को भेज बच्ची से दुष्कर्म के बारे में पूछताछ कराई। इसके अलावा रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस टीम भेजकर आरोपी मो. उस्मान को कोतवाली लाया गया।

प्रश्न : घटना सामने आने के बाद प्रशासन ने कैसे मदद की।
उत्तर : घटना संज्ञान में आने पर डीएम ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। बच्ची के लिए दो काउंसलर नियुक्त किए गए। बाल कल्याण समिति ने बच्ची को अपनी सुरक्षा में रखा। पीड़िता के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराया गए हैं, जिसमें उसने आरोपों की पुष्टि की है।

प्रश्न : मामला कोर्ट में है, अब क्या चुनौतियां आने वाली हैं।
उत्तर : मेरे संज्ञान में आया है कि बच्ची की मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। अगर 25 अप्रैल को हल्द्वानी महिला अस्पताल में बच्ची का इलाज किया गया होता तो फोरेंसिक साक्ष्य मिलने
की उम्मीदें थीं। उस दौरान एक बड़ी चूक हुई थी। इससे केस और मजबूत हो जाता।

अधिवक्ता स्वाति परिहार बोरा से बातचीत

प्रश्न : बालिका से दुष्कर्म की घटना के बाद शहर में तीन दिन तक माहौल खराब रहा। आप पीड़ित परिवार की मदद में लगी रहीं। इस दौरान किस तरह की परेशानी आई।
उत्तर: घटना के बाद कई लोगों के फोन आ रहे थे। लोग जानना चाह रहे थे कि बच्ची के साथ क्या हो रहा है। कई लोग मदद करना चाह रहे थे, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि कौन किस मकसद से फोन कर रहा है। सुरक्षा कारणों से हम बच्ची की मदद नहीं कर पा रहे थे। एक महिला होने के नाते मैं नहीं चाहती कि शहर में ऐसी घटना दोबारा हो।

प्रश्न : बालिका से दुष्कर्म का मामला संवेदनशील है। आपके परिवार की क्या प्रतिक्रिया रही।
उत्तर : मेरे बच्चों ने कहा कि आप डरना मत। आप अच्छा काम कर रही हो। जिसने ऐसा गंदा काम किया है, उनको सजा मिलनी चाहिए। मेरे बच्चों ने कहा, मम्मी आपने छोटी बच्ची की मदद नहीं कि तो हम समझेंगे कि आप भी खराब हो।

प्रश्न : हाईप्रोफाइल मामलों में सामाजिक दबाव बहुत होते हैं, क्या ऐसे किसी दबाव का सामना करना पड़ा?
उत्तर : मुझे बोला जा रहा था कि तुम अकेली हो, बच्चे हैं तुम्हारे, तुम डर नहीं रही हो। ये लोग तुम पर अटैक कर सकते हैं, छोड़ दो इस केस को। ऐसे कमेंट कई बार सुनने को मिले।

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