जोरावर लाइट वेट टैंक है, जिसे भारतीय सेना को लद्दाख जैसे हाई एल्टीट्यूड इलाकों में बेहतर क्षमता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका वजन सिर्फ़ 25 टन है, जो टी-90 जैसे भारी टैंकों के वजन का आधा है, जिससे यह मुश्किल पहाड़ी इलाकों में काम कर सकता है, जहां बड़े टैंक नहीं पहुंच सकते। इसका नाम 19वीं सदी के डोगरा जनरल ज़ोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत में सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया था।भारतीय सेना के लिए अच्छी खबर है। हाई एल्टीट्यूड इलाकों के लिए लंबे समय से सेना में हल्के टैंकों की जरूरत महसूस की जा रही थी। जल्द ही वह वक्त आएगा जब लाइट वेट टैंक जोरावर भारतीय सेना में शामिल हो जाएंगे। साल 2020 में में चीन के साथ गलवान में हुई खूनी भिड़ंत के बाद भारतीय सेना को ऊंचे पहाड़ी इलाकों के लिए लाइट टैंक की आवश्यकता थी। उस समय चीन ने अपने कब्जे वाले तिब्बत से सटे लद्दाख बॉर्डर पर ZTQ टी-15 लाइट टैंक तैनात कर दिए थे। जिसके बाद भारत को भी ऐसे हल्के टैंक चाहिए थे। लेकिन भारत को टी-72 जैसे भारी टैंक तैनात करने पड़े थे। भारतीय सेना ने करीब 200 टैंकों को हवाई मार्ग से लद्दाख पहुंचाया था।