भारत ने जब अग्निपथ योजना लागू की थी, तो इसे लेकर नेपाल सरकार ने भी विरोध जताया था। तब से भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती रुकी हुई है। बता दें कि नेपाल की विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की पत्नी हैं।नेपाल की विदेश मंत्री आरजू राणा देउबा इन दिनों भारत की यात्रा पर हैं। वह द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा के उद्देश्य से 18 से 22 अगस्त तक पांच दिवसीय यात्रा पर रविवार को नई दिल्ली पहुंची। नेपाली विदेश मंत्री की यह यात्रा विदेश सचिव विक्रम मिस्री की काठमांडू यात्रा के एक सप्ताह बाद हो रही है। वहीं, आरजू राणा देउबा की भारत यात्रा ने गोरखा भर्ती के मुद्दे को फिर से हवा दे दी है। भारत ने जब अग्निपथ योजना लागू की थी, तो इसे लेकर नेपाल सरकार ने भी विरोध जताया था। तब से भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती रुकी हुई है।विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर राणा भारत आ रही हैं। कार्यभार संभालने के बाद राणा की यह पहली आधिकारिक विदेश यात्रा है। आरजू राणा देउबा की यह यात्रा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक के बाद हो रही है, जिसमें विदेश मंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे के कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि देउबा की यह यात्रा दोनों देशों के बीच “अद्वितीय और घनिष्ठ” संबंधों का प्रमाण है। इससे पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री 11 अगस्त को दो दिवसीय यात्रा पर काठमांडू पहुंचे थे। पिछले महीने ही प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा के फिर से सत्ता संभालने के बाद नेपाल सरकार ने भारत को आश्वासन दिया था कि वह अपनी जमीन को पड़ोसी देश के खिलाफ आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने देंगे। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, 62 वर्षीय राणा की यात्रा के दौरान दिल्ली में स्वास्थ्य जांच भी होगी। उनका 22 अगस्त को नेपाल लौटने का कार्यक्रम है।वहीं, नेपाली विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती का मुद्दा भी उठ सकता है। भारत और नेपाल के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता ने रुकी हुई गोरखा भर्ती के समाधान की उम्मीद जगाई है। 2020 के बाद से भारतीय सेना में एक भी नेपाली गोरखा की भर्ती नहीं हुई है। कोविड-19 के कारण भर्ती रैलियां पर रोक लगा दी गई थी। वहीं कोविड के बाद भारत सरकार जून 2022 में अग्निपथ योजना ले कर आ गई थी। नेपाल ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में चार साल के लिए गोरखाओं की भर्ती को लेकर आपत्ति जताई थी। जिसके बाद दोनों देशों के बीच भर्ती को लेकर गतिरोध चल रहा है। इससे पहले नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ पिछले साल जब भारत यात्रा पर आए थे, तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने ये गोरखाओं की भर्ती को लेकर मुद्दा उठाया था, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला और नेपाल ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखा भेजने बंद कर दिए। अग्निपथ भर्ती योजना की वजह से नेपाल और भारत के बीच 200 साल के सैन्य संबंधों की विरासत खतरे में पड़ चुकी है। वहीं नेपाली गोरखा भर्ती के दूसरे रास्ते तलाश रहे हैं। नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री नारायणकाजी श्रेष्ठा ने खुलासा किया था कि नेपाली गोरखा युवा रूस की सेना में भर्ती हो रहा है। यह संख्या तकरीबन 15 हजार से ज्यादा है। उनका कहना था कि रूस अच्छे पैकेज का लालच देकर नेपाली गोरखाओं को अपनी सेना में भर्ती कर रहा है। लेकिन वहां जाने पर उन्हें सीधे मोर्चे पर भेज दिया जाता है और वहां वे यूक्रेनी सेना की गोलियों को शिकार हो रहे हैं।