उत्तराखंड स्थापना के 25 साल: तबादला एक्ट बना पर शिक्षक नहीं चढ़े पहाड़, जानिए कैसा रहा है अब तक का हाल

उत्तराखंड स्थापना के 25 साल: तबादला एक्ट बना पर शिक्षक नहीं चढ़े पहाड़, जानिए कैसा रहा है अब तक का हाल

Uttarakhand Foundation Day 25th year of establishment Transfer Act made but teachers did not climb mountains

विभाग में कई ऐसे सिफारिशी शिक्षक हैं, जो सुविधाजनक स्कूल में एक बार तैनाती के बाद कभी पहाड़ नहीं चढ़े। एक्ट में हर साल तबादलों के लिए समय सारिणी बनी होने के बावजूद पर्वतीय जिलों के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर नहीं हुई।


राज्य अपने स्थापना के 25वें साल में प्रवेश करने वाला है, लेकिन प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में खासकर पर्वतीय जिलों में शिक्षकों की कमी बरकरार है। विभिन्न विद्यालयों में भौतिक, रसायन विज्ञान और गणित में प्रवक्ताओं के पद खाली हैं। यह हाल तब है जब सरकार की ओर से समय-समय पर भर्ती के निर्देश जारी होते रहे हैं। वहीं, पारदर्शी तबादलों के लिए तबादला एक्ट भी बना है।

प्रदेश में शिक्षकों के तबादलों में पारदर्शिता के लिए वर्ष 2017 में एक्ट बना। तबादला एक्ट बनने के बाद यह समझा जा रहा था कि सुगम के साथ ही दुर्गम और अति दुर्गम क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती होगी, लेकिन एक्ट में हर साल तबादलों के लिए समय सारिणी बनी होने के बावजूद पर्वतीय जिलों के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर नहीं हुई। विभाग में कई ऐसे सिफारिशी शिक्षक हैं, जो सुविधाजनक स्कूल में एक बार तैनाती के बाद कभी पहाड़ नहीं चढ़े।प्रदेश में शिक्षकों के छह हजार से अधिक पद खाली हैं। इसमें प्रवक्ता संवर्ग में 3699, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के 45, सहायक अध्यापकों के 500, माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्यों के 1101, प्रधानाध्यापकों के 788 पद खाली हैं। इसके अलावा सीआरपी, बीआरपी के 955 पदों पर भी अब तक तैनाती नहीं हो पाई है।

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