Uttarakhand: बीमा लेने की कोशिश नाकाम…पति ने 70 साल की पत्नी को 56 का बताया, फिर इस तरह सामने आई सच्चाई

Uttarakhand: बीमा लेने की कोशिश नाकाम…पति ने 70 साल की पत्नी को 56 का बताया, फिर इस तरह सामने आई सच्चाई

मृत्यु के बाद बीमा दावे को राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले को खारिज किया। आवेदन फॉर्म में बीमा लेने वाले को अपनी उम्र की घोषणा खुद करनी थी। बीमा सिर्फ 18 से 59 साल की उम्र वालों का होना था, लेकिन आवेदक की असल आयु 70 वर्ष थी जिसे 56 घोषित किया गया।

Insurance Policy Fraud Attempt to get insurance by telling 70 year old wife 56 years old fails UttarakhandNews

करीब 70 साल की पत्नी को 56 का बताकर जीवन बीमा लेने की कोशिश नाकाम साबित हो गई। प्रीमियम की किश्तें भी वापस नहीं मिलेंगी। दरअसल, पति ने पत्नी की उम्र को कम बताकर पॉलिसी ले ली थी। आवेदन के छह माह बाद पत्नी परलोक सिधार गई तो बीमा लेने के लिए दावा कर दिया।

जांच हुई तो ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड ने सच्चाई उजागर कर दी। साफ हो गया कि बीमा कराते समय महिला की उम्र के बारे में गलत घोषणा की गई थी। महिला के पति को हरिद्वार के जिला उपभोक्ता आयोग से बड़ी राहत मिली थी। जिला आयोग ने मृतका के पति के दावे को सही मानते हुए भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को 50 हजार रुपये मुआवजा छह प्रतिशत ब्याज के साथ जमा करने का आदेश दिया था। पांच हजार रुपये मुकदमा खर्च भी देने को कहा। उस फैसले को राज्य उपभोक्ता आयोग ने गत 22 अक्तूबर को सिरे से खारिज कर दिया।मृतका के जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने माना कि एलआईसी ने सेवा में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती। आवेदन फॉर्म में बीमा लेने वाले को अपनी उम्र की घोषणा खुद करनी थी। बीमा सिर्फ 18 से 59 साल की उम्र वालों का होना था, लेकिन आवेदक की असल आयु 70 वर्ष थी जिसे 56 घोषित किया गया।

परिवार ने जिला आयोग में केस किया
हरिद्वार निवासी महिला के लिए जनवरी 2014 में आम आदमी बीमा योजना (जननी) नाम से पॉलिसी खरीदी गई थी, जिसमें बीमित राशि 30 हजार रुपये थी। जुलाई 2014 में आवेदक की मृत्यु हो गई। दावे की जांच के दौरान ग्राम पंचायत के परिवार रजिस्टर के रिकॉर्ड से पता चला कि बीमा लेने वाली महिला का जन्म फरवरी 1945 में हुआ था। इसलिए पॉलिसी जारी करते समय उनकी आयु 69 वर्ष से अधिक थी।

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