चिंताजनक: बदरीनाथ और केदारनाथ धाम दिसंबर में भी बर्फविहीन, जलवायु परिवर्तन का असर देख विशेषज्ञ भी हैरान

चिंताजनक: बदरीनाथ और केदारनाथ धाम दिसंबर में भी बर्फविहीन, जलवायु परिवर्तन का असर देख विशेषज्ञ भी हैरान

जलवायु परिवर्तन के असर को देख विशेषज्ञ हैरान हो रहे हैं। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में दिसंबर के पहले हफ्ते भी बर्फबारी न होना चिंता का विषय है। हिमालय में तापमान बढ़ रहा है।

Badrinath Kedarnath Dham are snowless even in December experts are worried seeing effect of climate change

जलवायु परिवर्तन के कारण बदरीनाथ धाम में दिसंबर तक बर्फबारी न होने पर विशेषज्ञों और तीर्थ पुरोहितों ने चिंता जताते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए वैज्ञानिक आधार पर विकास कार्य किए जाना जरूरी बताया है।कपाट खुलने से कपाट बंद होने तक छह माह प्रवास करने वाले देवप्रयाग के तीर्थ पुरोहित उत्तम भट्ट व अशोक टोडरिया ने बताया कि बदरीनाथ जैसे उच्च हिमालय क्षेत्र में कभी वर्ष 2024 जैसी स्थिति नहीं देखी है। इस बार छह माह के अंदर एक बार भी बर्फबारी नहीं हुई है। जबकि 2023 में अक्टूबर के महीने में ही तीन बार बर्फबारी हो चुकी थी।बताया कि बदरीनाथ के कपाट बंद होने के तीन सप्ताह गुजरने के बाद बदरीपुरी में बर्फ नहीं है। तीर्थपुरोहित इस परिवर्तन को बदरीधाम में अंधाधुंध वाहनों की आवाजाही और ऑल वेदर रोड़ निर्माण का प्रभाव बताते है। जिसका वैज्ञानिक स्तर पर अध्ययन होना जरूरी है।

तापमान में लगातार वृद्धि देखी जा रही
उत्तराखंड औद्यानिक एवं वानिकी विवि के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. एससी सती के अनुसार बदरीनाथ जैसे उच्च हिमालय क्षेत्रों में मौसमी भिन्नता के चलते यह स्थिति बनी है। इन क्षेत्रों में बारिश नहीं होने से बर्फबारी में भी कमी आई है। प्रो.सती के अनुसार पिछला वर्ष एक लाख सालों में सबसे गर्म वर्ष रहा है। किंतु 2024 में जिस तरह तापमान में लगातार वृद्धि देखी जा रही है, उससे यह पिछले वर्ष से अधिक गरम साल साबित हो सकता है। उनके अनुसार बदरीनाथ धाम में तापमान बढ़ने के पीछे मौसमी भिन्नता है। जिसका असर बर्फबारी सहित यहां जल स्रोतों पर भी पड़ रहा है।

जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा के पूर्व निदेशक व पूर्व वीसी डाॅ. पीपी ध्यानी के अनुसार वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ ही मानवीय गतिविधियों से हिमालय के इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन हो रहा है। विदेशों की भांति बदरीनाथ धाम में भी वाहनों व यात्रियों के वहन करने की क्षमता का आकलन कर उसे नियंत्रित किया जाना जरूरी है। डॉ ध्यानी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान करने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने होंगे। ताकि जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान किया जा सके।

दिसंबर का पहला सप्ताह बीत गया है, पर केदारनाथ सहित अन्य ऊंचाई वाली पहाड़ियां बर्फविहीन बनी हुई हैं। हिमालय की चोटियों में भी नाममात्र की बर्फ है, जिसे जानकार भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस वर्ष सितंबर के बाद से केदारनाथ में न तो बारिश हुई और न बर्फबारी। केदारनाथ पुनर्निर्माण से जुड़े सेवानिवृत्त सूबेदार मनोज सेमवाल, सोवन सिंह बिष्ट का कहना है दस वर्षों से वह शीतकाल में भी धाम में रह रहे हैं।

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