दो दशक पहले तक बदरीनाथ धाम अप्रैल माह तक बर्फ से ढका रहता था। मई माह के अंतिम समय तक चोटियों में बर्फ दिखाई देती थी।

बदरीनाथ धाम की चोटियां अभी से बर्फविहीन हो चुकी हैं, वैज्ञानिक इसे खतरनाक पर्यावरणीय संकेत मान रहे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि बर्फ के जल्दी पिघलने से ग्लेशियरों पर काफी दुष्प्रभाव पड़ेगा।दो दशक पहले तक बदरीनाथ धाम अप्रैल माह तक बर्फ से ढका रहता था। मई माह के अंतिम समय तक चोटियों में बर्फ दिखाई देती थी। लेकिन बढ़ती मानवीय गतिविधियां और ग्लोबल वार्मिंग के चलते अब स्थिति यह है कि अप्रैल माह में ही बदरीनाथ धाम में बर्फ नहीं है, यहां तक कि धाम की की चोटियों में भी बर्फ काफी कम रह गई है, वह भी तेजी से पिघल रही है।इसका असर आने वाले समय में ग्लेशियरों पर पड़ेगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों से मौसम का मिजाज बदला है, जिससे धाम में समय पर बर्फबारी नहीं हो रही है, जो बर्फ बाद में पड़ रही है, वह तेजी से पिघल रही है।