भारत के खिलाफ संघर्ष में पाकिस्तान को तुर्किये ने कैसे मदद पहुंचाई? इस मदद को भेजने में राष्ट्रपति अर्दोआन के परिवार की क्या भूमिका रही? कैसे पहले उनकी बेटी और फिर उनके दामाद का नाम पाकिस्तान के मददगारों में जुड़ गया? आइये जानते हैं…

भारत की तरफ से पाकिस्तान में छिपे आतंकियों को निशाना बनाने के लिए चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने तय लक्ष्य हासिल किए। इस अभियान से न सिर्फ आतंक के आकाओं का खात्मा किया गया, बल्कि पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर अपना आतंकपरस्त चेहरा भी दुनिया के सामने रख दिया। हालांकि, भारत ने पाकिस्तान के हमलों का माकूल जवाब दिया और उसके सभी हथियारों को नाकाम कर दिया। फिर चाहे वह चीन के हथियार रहे हों या तुर्किये के। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक और विषय पूरी दुनिया की नजर में आ गया। यह था भारत पर हमले में पाकिस्तान को तुर्किये का समर्थन। चौंकाने वाली बात यह है कि यह समर्थन सीधा तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन की तरफ से आया, जिन्होंने हर कीमत पर पाकिस्तान की मदद करने की बात कही। इतना ही नहीं अर्दोआन का परिवार भी परोक्ष रूप से भारत के साथ संघर्ष में पाकिस्तान की मदद करता नजर आया। से में यह जानना अहम है कि भारत के खिलाफ संघर्ष में पाकिस्तान को तुर्किये ने कैसे मदद पहुंचाई? इस मदद को भेजने में राष्ट्रपति अर्दोआन के परिवार की क्या भूमिका रही? कैसे पहले उनकी बेटी और फिर उनके दामाद का नाम पाकिस्तान के मददगारों में जुड़ गया? आइये जानते हैं…

भारत के खिलाफ संघर्ष में तुर्किये ने कैसे की पाकिस्तान की मदद?
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला किया। तो तुर्किये ने ही पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई के लिए ड्रोन्स मुहैया कराए थे। इतना ही नहीं तुर्किये ने पाकिस्तान को न सिर्फ ड्रोन्स दिए, बल्कि उन ड्रोन्स के संचालक भी उपलब्ध कराए। भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए जो ड्रोन्स इस्तेमाल किए, उनमें बायकर यीहा-III ड्रोन शामिल था। बायकर यीहा-III ड्रोन्स का निर्माण तुर्किये की ‘बायकर’ नाम की कंपनी करती है, जो कि रजब तैयब अर्दोआन के दामाद सेल्युक बायराक्तर की कंपनी है। सेल्युक का निकाह 2016 में अर्दोआन की बेटी सुमैये अर्दोआन से हुई थी।
क्या है बायकर कंपनी का इतिहास, सेल्युक कितने प्रभावी?
बायकर कंपनी की स्थापना ओज्डेमिर बायराक्तर ने बायकर एयरोस्पेस के तौर पर 1984 में की थी। तब सेल्युक महज 5 साल के थे। 2000 के दशक में जब सेल्युक पढ़ाई कर ही रहे थे तब ओज्डेमिर ने अपनी कंपनी को मानवरहित हवाई प्रणालियां बनाने का काम शुरू किया। 2007 में पढ़ाई पूरी करने के बाद सेल्युक ने अपने पिता की कंपनी जॉइन की। इसके बाद तुर्किये में बायराक्तर सीरीज के कई ड्रोन्स बनाए गए। बायकर कंपनी इस दौरान तुर्किये सरकार की साझेदार भी बनी और इसके कई ड्रोन्स और हथियार तुर्किये की सेना की तरफ से इस्तेमाल किए जाते हैं।
सेल्युक मौजूदा समय में बायकर में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) हैं। उनके पिता ओज्डेमिर का 2021 में निधन हो गया। इसके बाद से वे कंपनी का नेतृत्व कर रहे हैं। बायकर कंपनी ने अपने ड्रोन्स को न सिर्फ अर्मेनिया से लड़ रहे अजरबैजान को बेचा है, बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेनी सेना को भी मदद पहुंचाई है।