
भारत और पाकिस्तान में तनाव के बीच अफगानिस्तान से हमारे रिश्तों में क्या नया हुआ है? भारत-अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच क्या चर्चा हुई है? यह संभव कैसे हुई? आइये जानते हैं…भारत की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाए जाने के बाद दुनिया के अधिकतर देश इस मुद्दे पर बोलने से बचे हैं। चीन, तुर्किये जैसे कुछ देशों को छोड़ दिया जाए तो पाकिस्तान की मध्यस्थता की अपील और बार-बार मदद मांगने के बावजूद कई देशों ने उसकी दलीलों पर ध्यान तक नहीं दिया है। इसे राजनयिक स्तर पर भारत की बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। मजेदार बात यह है कि भारत और पाकिस्तान के पड़ोसी अफगानिस्तान ने सामने से इस पूरे संघर्ष में दोनों पक्षों से शांति रखने की अपील की, लेकिन राजनयिक स्तर पर यह देश लगातार भारत से बातचीत में जुटा था। इसका पहला खुलासा गुरुवार को हुआ, जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से आधिकारिक तौर पर फोन पर बातचीत की। बता दें कि यह पहली बार है जब भारत और तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान के बीच राजनीतिक स्तर पर संपर्क हुआ हो। हालांकि, ऐसा नहीं है कि भारत ने पाकिस्तान से तनाव के बीच अचानक ही अफगान शासन से संपर्क साधा हो। भारत लगातार प्रशासनिक और राजनयिक स्तर पर तालिबान के साथ संपर्क में रहा है और भारत के विदेश सचिव अफगान विदेश मंत्री से पहले मिल भी चुके हैं।पहले जानें- भारत-अफगानिस्तान के बीच रिश्तों में नया क्या हुआ?
15 मई को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के कार्यकारी विदेश मंत्री अहमद खान मुत्तकी से पहली बार आधिकारिक तौर पर बातचीत की। यहां सबसे अहम पहलू यह है कि भारत की सरकार के अब तक राजनयिक स्तर पर अफगानिस्तान के तालिबान प्रशासन के साथ संपर्क नहीं हैं, लेकिन अब राजनीतिक स्तर पर दोनों देशों की पहली बार बातचीत हुई है।
इस बातचीत की टाइमिंग इसलिए भी अहम है, क्योंकि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक बाद तालिबान ने इसकी कड़े शब्दों में निंदा की थी। बताया जाता है कि पाकिस्तान की अफगानिस्तान में की जा रही सैन्य कार्रवाई और सीमा विवाद से जुड़े मुद्दों को लेकर तालिबान कई बार रोष जता चुका है और पलटवार की चेतावनी भी देता है। जयशंकर-मुत्तकी के बीच क्या बातचीत हुई?
जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। अफगानिस्तान और भारत के बीच अविश्वास फैलाने की हालिया कोशिशों को उन्होंने दृढ़ता से खारिज किया, जिसकी हम सराहना करते हैं।” उन्होंने कहा कि हमने अफगान लोगों से पारंपरिक मित्रता और उनके विकास के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दोहराया। आगे सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा हुई।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही पाकिस्तानी मीडिया ने अफगानिस्तान तालिबान और पाकिस्तान तालिबान के जुड़ाव को रेखांकित किया था। साथ ही भारत को अफगानिस्तान के जरिए पाकिस्तान में तनाव पैदा करने का जिम्मेदार बताया था। अफगान तालिबान ने इसे लेकर पाकिस्तान को लताड़ लगाई थी। अब जयशंकर ने भी इस मुद्दे को चिह्नित करते हुए कहा कि हाल ही में भारत और अफगानिस्तान के बीच झूठी और निराधार रिपोर्ट्स के जरिए अविश्वास पैदा करने की कोशिशें की गईं। लेकिन मुत्तकी ने जिस तरह इन कोशिशों को नाकाम कर दिया, हम उसका स्वागत करते हैं।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर भारत और पाकिस्तान में तनाव के बीच अफगानिस्तान से हमारे रिश्तों में क्या नया हुआ है? भारत-अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच क्या चर्चा हुई है? यह संभव कैसे हुई?