कांवड़ यात्रा के बाद अब चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं के उमड़े जनसैलाब से उत्साहित प्रदेश सरकार पर अब धार्मिक यात्राओं के प्रबंधन एवं संचालन के लिए अलग नियामक एजेंसी बनाने का भारी दबाव है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर गंभीर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को यात्रा प्रबंधन प्राधिकरण बनाने का जिम्मा सौंप दिया है।
चुनौती सिर्फ चारधाम यात्रा के लिए व्यवस्थाएं जुटाने तक सीमित नहीं है। पहली बार सरकार के स्तर पर राज्य में पारंपरिक रूप से हर वर्ष और एक निश्चित समय अवधि में होने वाली धार्मिक यात्राओं को ध्यान में रखकर कार्ययोजना बनाने पर मंथन हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन को जिम्मा सौंपा है।
चारधाम यात्रा का प्रबंधन और संचालन सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ में 10 मई और बदरीनाथ में 12 मई से शुरू हुई इस धार्मिक यात्रा में अनुमान से दोगुना श्रद्धालु जुटे हैं। श्रद्धालुओं के उमड़े इस जनसैलाब से सरकारी इंतजाम थोड़े पड़ गए, जिस कारण सरकार को ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद करने पड़े हैं। बुधवार तक 31 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया और आठ लाख से अधिक तीर्थयात्री दर्शन भी कर चुके हैं।
जून माह में शिक्षण संस्थानों में अवकाश के बाद राज्य में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की संख्या में और अधिक बढ़ोतरी होने के आसार हैं। ऐसी स्थिति में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा जुटाना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यह चुनौती आने वाले वर्षों में और अधिक बढ़ने जा रही है।
ये धार्मिक यात्राएं लेती हैं परीक्षा
मौसम और विषम भौगोलिक परिस्थितियों में धार्मिक यात्राओं का कुशल प्रबंधन और संचालन राज्य सरकार के लिए हमेशा से ही कठिन परीक्षा रहा है। करीब 19 दिन की कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी इनमें से एक है। 12 साल बाद होने वाली नंदादेवी राजजात यात्रा भी 2026 में होनी है। अवस्थापना का विस्तार होने के कारण इस बार इस यात्रा में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। एशिया की सबसे लंबी धार्मिक यात्रा में श्रद्धालु 290 किमी का फासला तय करते हैं, जिसमें 230 किमी की दूरी पैदल नापनी होती है।
देवभूमि उत्तराखंड के प्रति देशभर के श्रद्धालुओं में अगाध आस्था है। हमारे लिए तीर्थयात्रियों और यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है। हमारी यह परम इच्छा है कि जो भी यात्री उत्तराखंड आए, वह केदारखंड और मानसखंड के सभी धार्मिक और पावन स्थलों के दर्शन किए बगैर न जाए। हम धार्मिक यात्राओं के प्रबंधन और कुशल संचालन के लिए कृतसंकल्प है और इस दिशा में प्रयासरत हैं। हमने अधिकारियों को सभी धार्मिक यात्राओं को ध्यान में रखकर प्राधिकरण का प्रस्ताव बनाने को कहा है। -पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री