तस्वीरों में देखिए क्वारब का डरावना रूप: खतरों के बीच सफर हुआ जोखिमभरा, कुमाऊं के तीन जिलों की आबादी परेशान

तस्वीरों में देखिए क्वारब का डरावना रूप: खतरों के बीच सफर हुआ जोखिमभरा, कुमाऊं के तीन जिलों की आबादी परेशान

अल्मोड़ा जिले के क्वारब पर दरकती पहाड़ी से अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिले की दस लाख से अधिक की आबादी परेशान है। पहाड़ी से गिर रहे मलबे और बोल्डर को देखकर यात्रियों में डर है।

population of three districts is troubled by the shaking hill on quarab Almora

क्वारब में लगातार हो रहे भू-धंसाव से तीन जिलों की दस लाख से अधिक आबादी प्रभावित हो रही है। यहां लगातार पहाड़ी दरक रही हैं। सड़क संकरी हो चुकी है। पहाड़ी से छोटा सा पत्थर के गिरने से भी लोग सहम जा रहे हैं। सफर के दौरान यात्रियों को अनहोनी का डर सता रहा है। क्वारब पर शुक्रवार को भी रूक-रूक कर मलबा गिरा। इससे कुछ देर वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगा।

क्वारब पर पहाड़ी से लगातार गिर रहे बोल्डर और मलबा जहां पहाड़ के तीन जिलों की रफ्तार को रोक रहा है, वहीं इससे आम आदमी भी परेशान है। अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ तीन जिलों को आने जाने वाले वाहन अल्मोड़ा-हल्द्वानी एनएच से ही आवाजाही करते हैं। क्वारब पर लगातार हो रहा भू धंसाव से तीन जिलों की 10 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित हो रही है। दरअसल मार्ग में मलबा गिरने से यातायात अवरुद्ध रहता है। इस कारण वाहनों को काफी देर तक क्वारब पर रोका जाता है। जिस कारण काफी समय बर्बाद होता है।

हल्द्वानी से बागेश्वर पहुंचने में आम तौर पर बस से छह घंटे लगते हैं लेकिन क्वारब पर मलबा गिरने से आठ घंटे लग जा रहे हैं। मार्ग बंद होने पर बसों के रानीखेत रूट से जाने पर और अधिक समय लग रहा है। इससे तीनों जिलों के यात्री परेशान हैं। पिथौरागढ़ जा रहे सुनील मर्तोलिया ने बताया कि क्वारब की समस्या से आम आदमी परेशान है। जाम लगने के कारण काफी समय बर्बाद हो गया है। अब हल्द्वानी पहुंचने तक ट्रेन छूट जाएगी। ऐसी ही दिक्कतें अन्य यात्रियों को भी झेलनी पड़ रही है।

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क्वारब पर दरकती पहाड़ी और तेज आंधी तूफान में पहाड़ी से गिरते बोल्डरों की आवाज से क्वारब के लोग सहम जाते हैं। हल्की सी सरसराहट में लोगों का कलेजा कांप जाता है कि कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए। खास कर रात में स्थानीय लोग चैन की नींद नहीं ले पा रहे हैं।

क्वारब के लोगों ने बताया कि दिन तो किसी तरह गुजर जाता है लेकिन रात दहशत के साए में बीत रही है। रात्रि में कई बार नींद खुलती है तो पहाड़ी से बोल्डर गिरने की आवाज सुनाई देती है। इससे पूरा परिवार सहम जाता है। लोगों ने बताया कि क्वारब पर रहते हुए उन्हें काफी लंबा समय हो गया लेकिन ऐसा पहली बार देख रहे हैं। एक बुजुर्ग मनोज सिंह ने बताया कि सड़क को बेहतर बनाने के लिए बड़ी मशीनों से पहाड़ी को काटा गया है। उसी का नतीजा है कि अब ये समस्या देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि सड़क का चौड़ीकरण से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन दरकती पहाड़ी का भी स्थायी समाधान किया जाना चाहिए।

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क्वारब पर अल्मोड़ा से हल्द्वानी और हल्द्वानी से अल्मोड़ा की तरफ आने जाने वाले वाहन रुकते हैंं। स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक पूर्व में रोजाना करीब 70 से 80 वाहन क्वारब पर रुकते थे। यात्री और पर्यटक स्थानीय दुकानों में चाय, नाश्ता और दोपहर का भोजन करते थे। दरकती पहाड़ी के चलते अब क्वारब पर एक भी वाहन नहीं रुक रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर व्यापार बुरी तरह चौपट हो रहा है। व्यापारियों ने बताया कि पहले एक दिन में दो से ढाई हजार का मुनाफा हो जाता था लेकिन अब हजार रुपये भी नहीं हो रहा है। ऐसे में दुकानों में रखे गए नौकरों को भी वेतन देना मुश्किल हो गया है। एक रेस्टोरेंट स्वामी ने बताया कि ग्राहकों का दिन भर इंतजार करना पड़ रहा है। एक्का दुक्का ग्राहक ही पहुंच रहा है। इससे भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। यहीं नहीं अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर के करीब 15 हजार से अधिक व्यापारियों का व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। जाम लगने के कारण कई बार बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ इलाकों तक दूध समेत अन्य दुग्ध पदार्थ और अन्य सामग्री समय पर नहीं पहुंच पाती है। कई बार दूध खराब हो जाता है। इससे व्यापारियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं लोग

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क्वारब पर पहले काफी वाहन रुकते थे। जिससे रोजाना ढाई से 3000 रुपये की आमदनी होती थी लेकिन अब कभी 500 तो कभी 700 रुपये की ही आमदनी हो रही है। इससे घर चलाना मुश्किल हो गया है।
-धरम सिंह बिष्ट, क्वारब

बीते 40 सालों में ये स्थिति पहली बार देख रहा हूं। दरकते पहाड़ से क्वारब पर व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पहले 2000 रुपये की आमदनी होती थी अब महज 1000 रुपये तक की आय हो रही है। चार लोगों का स्टाफ रखा है। इतनी कम आय में उन्हें भी वेतन देना मुश्किल हो रहा है।
-दीपक लटवाल, क्वारब

क्वारब पर दरकती पहाड़ी से समस्याएं लगातार बढ़ रही है। इससे क्वारब पर रहने वाले लोगों को भी खतरा बना हुआ है। पिछले कई सालों से रेस्टोरेंट संचालित करते आ रहा हूं लेकिन अब आमदनी सीमित हो रही है। इससे रेस्टोरेंट में रखे कर्मचारी का वेतन भी नहीं निकल रहा है।
– किशन सिंह बिष्ट, क्वारब

क्वारब पर दरकती पहाड़ी का स्थायी समाधान के ठोस प्रयास होते नहीं दिख रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो आगे दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। समय रहते क्वारब की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए। पहाड़़ी से गिरते बोल्डरों से कभी भी हादसा हो सकता है।
-आनंद सिंह, क्वारब

क्वारब पर जहां पहाड़ी दरक रही है उसके ठीक नीचे सुयाल नदी बहती है। इस नदी से स्थानीय लोग खेतों की सिंचाई करते हैं और पेयजल संकट के दौरान यही नदी इनकी प्यास बुझाती है। पहाड़ी से गिर रहे मलबे से सुयाल नदी पट गई है। नदी में जगह-जगह मलबा और बोल्डर गिरे हैं। इससे नदी का पानी भी मटमैला हो गया है। सुयाल नदी आगे जाकर कोसी नदी में विलीन हो जाती है। कई बार लोग नदी के रास्ते खेतों को आवाजाही भी करते हैं। वह कभी भी पहाड़ी से गिर रहे बोल्डरों की चपेट में आ सकते हैं।

उड़ रही धूल से स्थानीय व्यापारी परेशान
क्वारब पर वाहनों की आवाजाही के दौरान काफी धूल उड़ रही है जो सीधे स्थानीय दुकानों पर जाती है। इससे व्यापारियों का सामान भी खराब हो रहा है। साथ ही वहां पर ड्यूटी दे रहे सुरक्षा कर्मियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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