पूरे भारत में, सफाई नौकरियों में प्रॉक्सी, ‘बदली’ या ‘एवज’ में काम करना आम है. ‘वे हमारी नौकरी चाहते हैं, लेकिन हमारा काम नहीं करना चाहते.’
पुष्पा ने कहा, “अगड़ी जाति के लोग हमारी नौकरी छीन रहे हैं. हमारे लिए यह काम मजबूरी है — हमें अपने बच्चों को खाना खिलाना है और हमारे पास कहीं और काम करने का विकल्प नहीं है. वो हमारी नौकरियां तो चाहते हैं, लेकिन हमारे जैसा काम नहीं करना चाहते हैं.”
बदली के कारण उन्हें सरकारी वेतन, लाभ और सुरक्षा से वंचित रहना पड़ता है.
उन्होंने कहा, “अगर मेरे पास सरकारी नौकरी होती, तो मैं महीने के कम से कम 20,000 रुपये, मेडिकल बीमा और पेंशन का लाभ ले पाती. बजाय इसके मैं हर महीने 5,000 रुपये पर काम करने के लिए मजबूर हूं.”
जातिगत पूर्वाग्रह पर यह आधुनिक मोड़ सबसे हाशिए पर पड़े लोगों को सबसे निचले पायदान पर पहुंचा देता है. आरक्षण नीति, जिसका उद्देश्य उत्थान करना है, सकारात्मक कार्रवाई को पराजित कर रही है और शोषण का शिकार हो रही है.